मायावती ने कहा, अमित शाह के बयान पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए
केरल के कन्नूर में शनिवार को अमित शाह ने एक सभा को संबोधित करते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार और कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं सुनाने चाहिए, जिनका पालन न करवाया जा सके।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें शाह ने सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। बीएसपी प्रमुख ने कहा कि अमित शाह के बयान पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए।
केरल के कन्नूर में शनिवार को अमित शाह पार्टी कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए शाह ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार और कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं सुनाने चाहिए, जिनका पालन न करवाया जा सके और जो आस्था से जुड़े हों। शाह ने कहा था, “कन्नूर में 120 बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए। जिस विचारधारा के लिए इन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिया है, मैं उनके परिवार को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम उसे कभी पराजित नहीं होने देंगे।”
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल अब तक 3,345 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि राज्य भर में विभिन्न पुलिस थानों में 517 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
वहीं सबरीमाला तांत्री परिवार के सदस्य और कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को रविवार सुबह कोच्चि में गिरफ्तार किया गया। 26 अक्टूबर से अब तक कुल 3,346 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस को शिकायत मिली थी कि राहुल ईश्वर ने पिछले सप्ताह कोच्चि में एक संवाददाता सम्मेलन में इस मुद्दे पर भड़काऊ टिप्पणी की थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
इस बीच पिछले 12 घंटों में पथनामथित्ता जिले, जहां भगवान अयप्पा का मंदिर स्थित है, के साथ ही तिरुवनंतपुरम, कोझिकोड, एनार्कुलम के पुलिस स्टेशनों में 500 से ज्यादा गिरफ्तारियां दर्ज की गई हैं। पुलिस के मुताबिक, अभी तक केवल 122 प्रदर्शनकारी रिमांड में हैं जबकि अन्य को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। हालांकि, केरल पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने निर्देश दिया है कि उन लोगों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए जिन्होंने भजन और प्रार्थनाओं के जरिए अपना विरोध जाहिर किया था।
राज्य के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सचिव कोदियेरी बालाकृष्णन ने रविवार को मीडिया को बताया कि कानून के शासन का उल्लंघन होने पर यह सामान्य पुलिस कार्रवाई है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
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