शख्सियत :रश्मि ताई
जो कभी सहपाठी थे अब हमसफ़र हैं 'हमराही' हैं। जी हाँ आप ठीक समझे हैं। हम बात कर रहें हैं 'वाहिनी साहब' रश्मि ताई ,अब रश्मि ठाकरे की। हर कामयाब मर्द के पीछे एक औरत होती है यह विश्वास तब और भी घना -गाढ़ा हो जाता है जब सौम्यता और शालीनता की नायाब मिसाल रश्मि ताई से मुखातिब होते हैं। एक आम मध्य वर्गीय परिवार से आईं हैं आप। आपके व्यक्तित्व पे मातुश्री (रश्मि ताई की माता श्री मती मीणा ताई )की गहरी छाप है। आप रंगभूमि में ही रहती हैं मेकअप मैन की तरह. आपने उद्धव जी को सजाया संवारा है। पहले जे. जे. स्कूल आफ आर्ट्स में सहपाठी और अब जीवन संगनी बनकर उनकी अनाम राजनीतिक गुरु और सलाकार रहीं हैं आप। आगे भी ये सफर यूं ही नए क्षितिज नापेगा।
आप ने ही हिन्दू हृदय सम्राट बाला केशव प्रबोधनकर ठाकरे से उनका राजनीतिक वारिस उद्धव जी को बनाये जाने का वचन उनके जीते जी ले लिया था।
आप एक अन्नपूर्णा साबित हुई हैं मातोश्री के लिए जो बाला साहब के बीमार होने पर उनकी कुशल पूछने आते सभी आम अउ ख़ास सैनिकों को अल्पाहार क्या चाव से भरपेट भोजन आग्रह पूर्वक करवातीं थीं। आप लेंस के पीछे रहती आईं हैं। लेकिन आपका मौन सदैव मुखर रहा है। काम आगे बढ़के बोला है। जीवन बीमा निगम की एजेंट से लेकर रश्मि ताई से रश्मि ठाकुर बनने तक का खामोश सफर उद्धव जी की राजनीतिक ग्रूमिंग तक ही सीमित नहीं रहा है। शिव सेना की महिला विंग (पार्वती विंग )की आप सूत्रधार रहीं हैं। बकौल आपके मामा श्री श्रृंगारपुडे आप बचपन से ही शांत तबियत की रहीं हैं।
रश्मि पटणकर का जन्म थाने के डोम्बिवली के एक साधारण व्यापारी माधव पटणकर के यहां हुआ।आप वाज़े केलकर महाविद्यालय से स्नातक हैं। आप अपने परिवार में माँ की निकटतर छाँव में रहीं हैं। माँ बाप के संस्कार उन्हें विरासत में मिले जो ससुराल में 'मातो - श्री' में खूब और बेहद के विकसित हुए। आप सबकी चहेती छुटकी -बहु बन गईं।
आदित्य ठाकरे की कामयाबी के पीछे भी आप ही रहीं हैं आप ही के नेहासंसिक्त -हाथों में उनकी चुनावी बागडोरी थी. सारथी रश्मि जी आप ही थीं। बाला केशव ठाकरे की सेवा सुश्रवा से आपने उनका मन मोह लिया। उनका राजनीतिक वारिस उद्धव यूं ही नहीं बने हैं।
केशव सीताराम ठाकरे की विरासत का आपने और अधिक संवर्धन ही किया है। आप की ढृढ़ता हर मुकाम पर काबिले गौर रही है। महाराष्ट्र के सियासी रंगमंच पर आप रंग भूमि में रहीं हैं लेकिन अपने निश्चय पर अटल बनी रहीं हैं। नतीजा सबके सामने हैं :उद्धव बालासाहब केशव ठाकरे मुख्यमंत्री महाराष्ट्र।आप प्रथम महिला कहे जाने के सर्वाधिक अनुकूल हैं। ईश्वर आपको आगे और आगे बढाए। जयश्रीकृष्ण !
https://www.youtube.com/watch?v=e4sxg9i3kNg
जो कभी सहपाठी थे अब हमसफ़र हैं 'हमराही' हैं। जी हाँ आप ठीक समझे हैं। हम बात कर रहें हैं 'वाहिनी साहब' रश्मि ताई ,अब रश्मि ठाकरे की। हर कामयाब मर्द के पीछे एक औरत होती है यह विश्वास तब और भी घना -गाढ़ा हो जाता है जब सौम्यता और शालीनता की नायाब मिसाल रश्मि ताई से मुखातिब होते हैं। एक आम मध्य वर्गीय परिवार से आईं हैं आप। आपके व्यक्तित्व पे मातुश्री (रश्मि ताई की माता श्री मती मीणा ताई )की गहरी छाप है। आप रंगभूमि में ही रहती हैं मेकअप मैन की तरह. आपने उद्धव जी को सजाया संवारा है। पहले जे. जे. स्कूल आफ आर्ट्स में सहपाठी और अब जीवन संगनी बनकर उनकी अनाम राजनीतिक गुरु और सलाकार रहीं हैं आप। आगे भी ये सफर यूं ही नए क्षितिज नापेगा।
आप ने ही हिन्दू हृदय सम्राट बाला केशव प्रबोधनकर ठाकरे से उनका राजनीतिक वारिस उद्धव जी को बनाये जाने का वचन उनके जीते जी ले लिया था।
आप एक अन्नपूर्णा साबित हुई हैं मातोश्री के लिए जो बाला साहब के बीमार होने पर उनकी कुशल पूछने आते सभी आम अउ ख़ास सैनिकों को अल्पाहार क्या चाव से भरपेट भोजन आग्रह पूर्वक करवातीं थीं। आप लेंस के पीछे रहती आईं हैं। लेकिन आपका मौन सदैव मुखर रहा है। काम आगे बढ़के बोला है। जीवन बीमा निगम की एजेंट से लेकर रश्मि ताई से रश्मि ठाकुर बनने तक का खामोश सफर उद्धव जी की राजनीतिक ग्रूमिंग तक ही सीमित नहीं रहा है। शिव सेना की महिला विंग (पार्वती विंग )की आप सूत्रधार रहीं हैं। बकौल आपके मामा श्री श्रृंगारपुडे आप बचपन से ही शांत तबियत की रहीं हैं।
रश्मि पटणकर का जन्म थाने के डोम्बिवली के एक साधारण व्यापारी माधव पटणकर के यहां हुआ।आप वाज़े केलकर महाविद्यालय से स्नातक हैं। आप अपने परिवार में माँ की निकटतर छाँव में रहीं हैं। माँ बाप के संस्कार उन्हें विरासत में मिले जो ससुराल में 'मातो - श्री' में खूब और बेहद के विकसित हुए। आप सबकी चहेती छुटकी -बहु बन गईं।
आदित्य ठाकरे की कामयाबी के पीछे भी आप ही रहीं हैं आप ही के नेहासंसिक्त -हाथों में उनकी चुनावी बागडोरी थी. सारथी रश्मि जी आप ही थीं। बाला केशव ठाकरे की सेवा सुश्रवा से आपने उनका मन मोह लिया। उनका राजनीतिक वारिस उद्धव यूं ही नहीं बने हैं।
केशव सीताराम ठाकरे की विरासत का आपने और अधिक संवर्धन ही किया है। आप की ढृढ़ता हर मुकाम पर काबिले गौर रही है। महाराष्ट्र के सियासी रंगमंच पर आप रंग भूमि में रहीं हैं लेकिन अपने निश्चय पर अटल बनी रहीं हैं। नतीजा सबके सामने हैं :उद्धव बालासाहब केशव ठाकरे मुख्यमंत्री महाराष्ट्र।आप प्रथम महिला कहे जाने के सर्वाधिक अनुकूल हैं। ईश्वर आपको आगे और आगे बढाए। जयश्रीकृष्ण !
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