बोइस एंड गर्ल्स लोक -रूम्स के इस दौर में हमारे नौनिहाल ही नहीं बड़े खुद को कहलवाने वाले महानुभाव बूझ लें :इंटरनेट एक यूज़र फ्रेंडली डिवाइस है। एक बार कुछ अच्छा मांगोगे तो दस अच्छी चीज़ें खुद -ब -खुद आपके दृश्य पट पर आ जाएंगी। एक लोक रूम की चाहत रखोगे दस दौड़ें आयेंगे
बोइस एंड गर्ल्स लोक -रूम्स के इस दौर में हमारे नौनिहाल ही नहीं बड़े खुद को कहलवाने वाले महानुभाव बूझ लें :इंटरनेट एक यूज़र फ्रेंडली डिवाइस है। एक बार कुछ अच्छा मांगोगे तो दस अच्छी चीज़ें खुद -ब -खुद आपके दृश्य पट पर आ जाएंगी। एक लोक रूम की चाहत रखोगे दस दौड़ें आयेंगे।जो भी बाद में इस डिवाइस का इस्तेमाल करेगा आपके बाद आपके घर या बाहर (सबके पास अपना लैपटॉप हो स्मार्ट फोन हो यह ज़रूरी नहीं है। वर्क फ्रॉम होम के इस दौर में पापा मम्मी का स्मार्ट ही आप इस्तेमाल करेंगे। पकड़े जाएंगे आप लोक रूम में घुसते निकलते।
भले ये फोटो शॉप का हैकिंग का मॉर्फिंग ,स्टाकिंग का दौर है पर साइबर -रोधी -साइंस भी एक अपराध विज्ञान की तरह पनपता विज्ञान है जो हर सायबर अपराध की निगहबानी करता रहता है।
जो भी करो अपना हित -अनहित पारिवारिक छवि का ध्यान रखते हुए ही करो बाद में अपने किये पर हाथ मलने का क्या फायदा है।
बे -शक किशोर वय कई दुस्साहसिक कार्यों की ओर सहज ले जा सकती है। आज के इस अति -सूचना प्रवाह इन्फॉर्मेशन ओवरलोड के दौर में सब कुछ अच्छा बुरा नेट पर उपलब्ध है। चयन आपका है आपकी वैयक्तिक छवि का है आप क्या दिखना करना चाहते हैं फैसला आपको ही करना है हमारा काम आगाह करना है।
कृपया इसी विषय पर नवभारत टाइम्स ने विचार के तहत बेहतरीन सम्पादकीय लिखा है उसे भी आप ज़रूर पढ़ें :नवभारत टाइम्स सात मई २०२० ,इस पर एक उल्लेखित प्रतिक्रिया मेरी भी है जो आप ऊपर पढ़ आये हैं।
भले ये फोटो शॉप का हैकिंग का मॉर्फिंग ,स्टाकिंग का दौर है पर साइबर -रोधी -साइंस भी एक अपराध विज्ञान की तरह पनपता विज्ञान है जो हर सायबर अपराध की निगहबानी करता रहता है।
जो भी करो अपना हित -अनहित पारिवारिक छवि का ध्यान रखते हुए ही करो बाद में अपने किये पर हाथ मलने का क्या फायदा है।
बे -शक किशोर वय कई दुस्साहसिक कार्यों की ओर सहज ले जा सकती है। आज के इस अति -सूचना प्रवाह इन्फॉर्मेशन ओवरलोड के दौर में सब कुछ अच्छा बुरा नेट पर उपलब्ध है। चयन आपका है आपकी वैयक्तिक छवि का है आप क्या दिखना करना चाहते हैं फैसला आपको ही करना है हमारा काम आगाह करना है।
सम्पादकीय 'कालिख में डूबते बच्चे 'सही कहता है 'यह अंधा कुआं देश की ताज़ादम पीढ़ी को निगल जाए ,उसके पहले हमें घर के लड़कों को बचाने की कोशिशें तेज़ कर देनी चाहिए। सचमुच लोकडाउन के इस दौर में जबकि नेट एक सोशल ब्लेक हॉल बनता दिख रहा है। बच्चे हमारा उत्पाद मात्रा रह गए हैं ,बाइप्रोडक्ट हैं, अनुकरण करतें हैं बड़ों का। मैं कई ऐसे घरों में गया जहां नेटफ्लिक्स ,हॉट स्टार अमेज़न प्राइम -वीडियो आन डिमांड पर ऐसे सीरियल धड़ल्ले से देखे जा रहें हैं जिनमें जनपदों में प्रचलित गाली को सामादृत किया जा रहा है। और यह सब बच्चों के साथ सांझा भी किया जा रहा है।यहां हैकिंग भी है बलात्कार भी। बहरहाल यह इस परिवेशीय दोष का एक पहलू भर है। हमारे चित्त का निर्माण करने वाले अनेक कारक हैं। नेट हमारी खुराक का हिस्सा बन रहा है विविध रूपों में। स्मार्ट फोन उसका एक आयाम भर है जो आन लाइन टीचिंग के इस दौर में हर बच्चे के हाथों में आ गया है। चयन हमारा अपना है दोष नेट में नहीं है हमारे चयन पसंदगी और वरीयता में है। किशोर मन एडवेंचरस होता है थ्रिल कुछ नया करने की वेगवती होती है किशोरवृन्द में । इसे दिशा देने की ज़रूरत है। नेट से जुड़े आपस में कटे -शोसल डिस्टेंसिंग का ये मतलब तो कतई नहीं है।थोड़ा नज़दीक आएं एक दूसरे तवज्जो भी दें।
वीरेंद्र शर्मा ,२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार कॉप्लेक्स दिल्ली छावनी ११० ०११०
संदर्भ -सामिग्री :https://www.bbc.com/news/world-asia-india-52541298कृपया इसी विषय पर नवभारत टाइम्स ने विचार के तहत बेहतरीन सम्पादकीय लिखा है उसे भी आप ज़रूर पढ़ें :नवभारत टाइम्स सात मई २०२० ,इस पर एक उल्लेखित प्रतिक्रिया मेरी भी है जो आप ऊपर पढ़ आये हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें