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Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji - Day 2 ,Part 4

भगवान् का प्रिय आहार है भक्त का अहंकार। भगवान् इसे रहने नहीं देते नारद समझ गए भगवान् ने मुझे अपनी माया के वशीभूत कर लिया था। नारद शांत हो गए और ध्यान में बैठ गए।  कथा का सन्देश है :जब कोई व्यक्ति बहुत क्रोध करे तो समझ जाना यह असफल व्यक्ति है ,हार गया है। इससे बचने का सहज उपाय है भगवान् के गुणों को याद करो उस समय।  पूर्व कथा प्रसंग : मनुशतरूपा के सफल तप के बद आकाशवाणी का होना -आप दोनों ही कौशल्या और दशरथ होंगे ,मैं आपका पुत्र बनकर आऊंगा लेकिन अभी इंतज़ार करना होगा।  उधर जय विजय के शाप के कारण भी रावण कुम्भकर्ण(कुम्भ -करण ) का आना और नारद के शाप को भी अंगीकार कर भगवान् का स्वयं भी राम बनकर आने को उत्सुक होना । राम के जन्म के कारण बने।  आइये चलते हैं अयोध्या जहां समूची वसुंधरा के वैभव का एक मात्र उपभोक्ता राजा दसरथ -जब वृद्धावस्था नज़दीक आ गई -किसे सौंपे ये ऐश्वर्य वसुंधरा का। देवताओं को जब भय होता है मैं छलांग लगाकर स्वर्ग पहुंचता हूँ। वशिष्ठ जी मेरे गुरु हैं। मैं इच्छवाकु वंश का प्रतापी सम्राट -मुझे राजपुत्र नहीं चाहिए ? मैं उन्मादियों को देख रहा हूँ। मैं देख रहा हूँ रावण को उसके ब

Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji Day 2(Part ll ,lll )

संदर्भ -सामिग्री : (१ )https://www.youtube.com/watch?v=_1UZvf4IGu8 (२) LIVE - Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji - 27th Dec 2015 || Day 2 अध्यात्म का अर्थ है जो स्वभाव की ओर लेकर आये जिससे अपने स्वरूप का बोध हो। जब व्यक्ति अपने स्वभाव को उपलब्ध होता है तब उसके पास भगवदीय सामर्थ्य उजागर हो जाती है। हमारी संस्कृति नर से नारायण बनाने वाली संस्कृति है।  वेद के अनुसार यह कहा गया -अमृतस्य पुत्रा -हम अमृत की संतानें हैं। हमारी आध्यात्मिक यात्रा तभी संपन्न होती है जब हम अपनी अनंतता को उपलब्ध हो जाते हैं। अपनी नित्यता हर पल है। अब तो विज्ञान भी कहता है कोई चीज़ बदलती तो है लेकिन रूप बदलने के बाद भी वह रहती तो है। सदा रहती है सदा। तो जो नित्य तत्व है अपराजेय तत्व है ,शाश्वत तत्व है उस तत्व का बोध कराने वाली हमारी यह संस्कृति है। वेदों का एक ही घोष है मनुष्य केवल एक ही काम करे और वह ही उसके लिए आवश्यक है। वह अपने नित्य सनातन स्वरूप का बोध करे। वह भोर में उठकर शुभ संकल्प करे। और वह अपने स्वरूप को उपलब्ध हो।  हम अपने पाथेय को विस्मृत न कर बैठें। भारतीय संस्कृति यह कहती है अपने स

Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji Day 2 ,Part l

भगवान् कहते हैं कोई मेरे सम्मुख तो आये मैं उसके इस एक जन्म तो क्या कई जन्मों के पाप नष्ट कर देता हूँ- अध्यात्म का प्रवाह कोई भेदभाव नहीं करता समदृष्टि ,समभाव ,समत्व लिए  रहता है सब के लिए -  मीर  की ग़ज़लें उसी अंदाज़ में हम चूमते हैं , सूर के पद  गुनगुनाकर जिस तरह से झूमते हैं।  मस्जिदों से प्यार उतना ही  हृदय में है हमारे , जितने मंदिर मठ,गिरिजाघर  हैं गुरूद्वारे।  किसी ने पूछा इस संसार में जानने योग्य वस्तु क्या है ? रामहि केवल प्रेम पियारा , जान लेओ जोई जानन हारा।  हमारा राम तो बड़ा व्यापक राम है - राम  सच्चिदानंद दिनेशा ,  नाहिं  ताहि मोह निक   लवलेशा  राम का प्रेम शबरी का प्रेम है ,मर्यादा में रहता वह प्रेम है  जिसमें केवट है ,वनवासी हैं ,जिसमें विकलांग है ,संसार के  उपेक्षित  वे लोग भी हैं जिन्होनें अपने जीवन को सफल बनाया।  इश्क़  मज़हब हो तो ज़ाहिब ,कुफ्र क्या ,इस्लाम क्या , हो कहीं काबा या बुतखाना ,किसी से काम क्या।  दिल में है काबा मेरे और इश्क है मेरी नमाज़ , चाहे जब चाहूँ कर लूँ अदा ,इसमें सुबह क्या और शाम क्या।  गुजराती शब्द है थाप -जिसका मतलब होता है थकान। कथा

Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji (Day 1) Hindi

तापस वेश विशेष उदासी , चौदह बरस राम वनवासी।  श्रवण अज्ञान मुक्ति का आत्म कल्याण का साधन है। आपका बोलना ,आपका देखना वह मांगल्य तभी होगा जब आप अच्छा सुनें।  शास्त्र का निर्देश हैं पहले आप अच्छा सुनें -स्वरूप अनुसंधान के लिए। मनन (contemplation )और ,निद्धियासन (constant contemplation )बाद के साधन हैं । जब ब्रह्मा का चातुर्य विस्मृत हो गया तब उन्होंने भी अपने लक्ष्य बोध के लिए श्री हरि की शरण ली उनसे कथा सुनी। शिव ने भी कथा सुनी।  श्रवण मंगलम  सुन ने की बात अति प्राचीन विधा है। ईश्वरीय सामर्थ्य उपलब्धता के लिए एक ही संस्कार है और वह है :श्रवण। वैसा सुने जिससे आपके भीतर के कपाट  खुलें  ,माधुर्य जगे।मंथरा कुसंग हैं ,श्रवण योग्य नहीं हैं। कैकई ने मंथरा की सुनी और राम के लिए वनवास ही नहीं माँगा ,उनके वस्त्र भी उतरवा लिए। ऐसी सजा इतिहास में आपने सुनी नहीं होगी।  श्रवण मंगलम -मांगल्य सुनो। 'श्रुति' श्रवण है। वेद सुने जाते हैं। पढ़े नहीं जाते।    राम कथा -संवाद पिटारी है। शिव -पार्वती संवाद , ऋषि याज्ञवाल्क्य और भारद्वाज ........    संवाद ,यहां तक के तुलसीदास का खुद के साथ भी संवाद

हाफ़िज़ सईद की रिहाई का जश्न मना रहे हैं राहुल

हाफ़िज़ सईद की रिहाई का जश्न मना रहे हैं राहुल - मोदी जी बात बनी नहीं -हाफ़िज़ सईद रिहा हो गया ,पाक को अमरीकी सैन्य सहायत बहाल होगी -राहुल (यह सुर्खी थी एक हिंदी के अखबार की ) (गांधी तो ये व्यक्ति है नहीं ,क्योंकि पारसियों में गांधी उपनाम और वर्ण ,गोत्र आदि नहीं हैं ये नेहरू वंश का बचा खुचा उच्छिष्ट है वर्ण - संकर रूप में ),राहुल को गांधी कहना उस महात्मा की तौहीन है जिसे मोहनदास करमचंद गांधी कहा जाता था। खुद गांधी वंश के नातियों ने एतराज जताया है इन कांग्रेसियों के आरएसएस पर  आक्षेपों का और इनके गांधी उपनाम बनाये रहने पर ) हम अपने मूल विषय की  ओर  लौटते हैं -राहुल की मोदी जी पर टिपण्णी भारत के प्रधानमन्त्री पर तानाकशी मात्र नहीं है हाफ़िज़ सईद की रिहाई का सेलिब्रेशन है इस सोनिया पुत्र द्वारा। जबकि यह हमला मुंबई में कांग्रेस के सु -शासन में ही हुआ था। फिर भी हमारा मानना है दहशद गर्दी सारा राष्ट्र मिलकर रोकता है सामना करता है उसका मुंबई की शाश्वत चेतना के साथ ,मुंबई की स्पिरिट जैसा।ये दलगत मामला नहीं होता राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा मसला होता है।   ये कैसा कुलकलंक है भारतीय राजनीति का 

Vitamin D deficiency and lnsufficiency :A global public-health problem (Hindi l )

दुनिया भर में फिलवक्त कोई एक अरब लोग या तो इस "सनशाइन विटामिन "की कमी से या फिर अ -अपर्याप्त आपूर्ति से ग्रस्त हैं और समस्या ने तकरीबन एक आलमी (ग्लोबल )रुख ले लिया लगता है।  इसी कमीबेशी के चलते यहां वहां कहीं बच्चों का सूखा रोग (रिकेट्स )तथा कहीं और ओस्टोमलासिया सिर उठाये हुए है।  और बात सिर्फ इतनी ही नहीं है जब जिन्न  बोतल से बाहर आता है तो पूरा पैंडोरा बॉक्स ही खुल जाता है एक समस्या दूसरी को जन्म ही नहीं देती उसका पोषण भी करने लगती है इसी का नतीजा है के इस कमीबेशी के चलते मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स (चयापचयन संबंधी शिकायतें )ही नहीं ,ऐसी बीमारियां भी उभर रहीं हैं जिन्हें आटोइम्यून डिज़ीज़ कहा जाता है और जिनमें अपना रोगप्रतिरोधी तंत्र अपने तन को ही विजातीय मान ने की भूल कर बैठता है।  स्केलेटल डिज़ीज़ीज़ ,कैंसर रोग समूह ,हृदय एवं रक्तसंचरण सम्बन्धी कार्डिवस्कुलर रोग ,किस्म -किस्म के संक्रमण ,बोध -संबंधी (प्रज्ञानात्मक  दोष या कॉग्निटिव डिसऑर्डर्स ),मृत्यु-दर का बढ़ना  आदि भी मुखर हैं।  उल्लेखित रोगों में ओस्टोमलासिआ मुख्य- तौर पर औरतों की ही समस्या बनती हैं कैल्सियम या फिर विटामिन -