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ये बौद्धिक गुलाम कुछ स्वतन्त्र चिंतन करना सीखें

BRAJVASI1970 खोज ये बौद्धिक गुलाम कुछ स्वतन्त्र चिंतन करना सीखें मार्च 07, 2018 मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम भारतीय कमुनिस्ट(कौमनष्ट ) कोई सा भी खेल खेल सकते हैं। भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए ये किसी का भी मूर्ती भंजन कर सकते हैं, बशर्ते के राजनीति में उखड़े हुए इनके पाँव कुछ देर के लिए ठहर सकें। इसका  अभिप्राय यह नहीं है के त्रिपुरा में लेनिन की प्रतिमा को इन्होनें ही तुड़वाया है पर इनकी विश्वसनीयता इतने निम्न स्तर तक पहुँच चुकी है कि नैतिकता-विहीन इनकी दुरभिसंधि किसी भी पतन तक पहुँच सकती है। इनके कलंकित इतिहास में भारतीय मन को पीड़ा पहुंचाने वाले अनेक धत्  कर्म हैं  . विघटन पैदा करना इनकी प्रवृत्ति है। पाकिस्तान बनाने में इनका नैतिक समर्थन जेहादी लोगों  को प्राप्त था। १९६२ के चीनी हमले पर 'मुक्ति सेना मुक्ति सेना आ गई 'कहकर ये अपनी ख़ुशी को कभी छिपाते थे और कभी प्रकट करते थे।  दरअसल भारत का कोई महान पुरुष इनका आदर्श नहीं है। यदि होता तो कुछ राजनीतिक संगति बैठ सकती थी। तब हिंसा और दमन के प्रतीक लेनिन को इन्हें उधार