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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कल यहां कोरोना था ,वो क्या हुआ ? जबकि वहां अब न मास्क दिखलाई देते हैं न सैनीटाईज़र रगड़ते हाथ.दिखलाई देती है मौज़ मस्ती मनाती संगीत पे थिरकती युवा भीड़। चीनी दीवार पर उमड़ता सैलानियों का सैलाब ?

क्या आप मानते हैं कि कोविड महामारी को पैदा करने वाला वायरस चीन के वुहान  लैब में बनाया गया ? mudda@jagran.com मुमकिन है। यहां कुछ भी हो सकता है।  हमारा मानना है जिस देश की व्यवस्था  के कपाट बाहरी दुनिया के लिए बंद हो जिसने गरीब देशों को बेशुमार कर्ज़ से लादकर उनके संशाधनों के साथ मनमानी छेड़छाड़ के  रास्ते अपने तैं  खोल लिए हों ,जहां तहाँ वह अपने सैनिक अड्डे बना रहा हो वहां एक वायरस लेब में क्यों नहीं बन सकता। जबकि वहां वुहान को इसी काम के लिए जाना जाता है।  अलावा इसके क्वांटम कम्प्यूटिंग ,जैविक कम्प्यूटर ,जैविक -अस्त्रों की अवधारणा के इस दौर  में क्या नहीं हो सकता।  पूर्व में रणनीतिक  आयुद्धों के रूप में न्यूट्रॉन बम खासी चर्चा में रह चुका है। चर्चा यह भी है तीसरा विश्वयुद्ध वायरस युद्ध ही होगा।अदृश्य जैव अस्त्रों से - जिसमें  प्रयुक्त आयुद्ध अगोचर होंगें डार्क एनर्जी की तरह अबूझ ,लड़ा जाएगा।   इसी क्रम में सार्स -कोव -२ का विस्तारवादी चीन की वुहान लैब में गढ़ा हुआ होना कोई अनहोनी घटना  नहीं कहा  जाएगा।लैब से किसी दुर्घटना वश रिसाव के ज़रिये सिंक में चुपके से पहुंचा या किसी विस्फोट के ज़रिये

मोदी को विपक्षी मुख्यमंत्रियों की भी सुननी चाहिए -(पंजाब केसरी २८ मई ,में हरी जय सिंह )-एक प्रतिक्रिया

मोदी को विपक्षी मुख्यमंत्रियों की भी सुननी चाहिए -(पंजाब केसरी २८ मई ,में हरी जय सिंह )-एक प्रतिक्रिया   इन परिदों की टर्र टर्र ,पैं ,पैं ,चीं चीं ,चैं चैं सारा ज़माना सुन रहा है। हमारा मानना है न तो नरेंद्र दामोदर मोदी को उम्र से ताल्लुक रखने वाला श्रवण ह्रास है न आँख में हरी जै सिंह की तरह रतौंधी है ,इसे कहते हैं आग्रह मूलक लेखन पहले निष्कर्ष निकाल लो फिर तर्क ढूंढों। तर्क जो ढूंढें से न मिलें।  हरी जय सिंह ने अपने इस अग्र  लेख में यही किया है। वह अपने द्वारा दिए गए शीर्षक की प्रतिस्थापना प्रतिष्ठापन में कुछ भी नहीं कह सकें हैं सिर्फ भंडास निकाली है - एक अंश देखिये :डी.एम्स के साथ अपनी बैठक के दौरान प्रधानम्नत्री ने रूप बदलने वाले रोगाणु से लड़ने के लिए मजबूत आंकड़ों तथा समीक्षा के महत्व पर ज़ोर दिया है ...... इस उद्देश्य के लिए प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा अपनाया गया तानाशाही पूर्ण मार्ग गलत है।  रतौंधी ग्रस्त बंद दिमाग में यह नहीं घुसता के ममताबड़ी की ममता बनर्जी ने जिला मजीस्ट्रेट के मुंह पे सिटकनी लगा दी।  आउल गांधी की टैं  टैं इन्हें सुनाई नहीं देती। आँख के अंधे नाम नैन सुख। ये गोदी पतर

रावण जमा तीन सिर कुलमिलाकर तेरह मुखी विपक्ष भोले भाले किसानों को दिल्ली सीमाओं पे आने का आवाहन कर खुद लापता है।

हरयाणा का जन्म नवंबर १ ,१९६६ में हुआ तब से लेकर आदिनांक मुख्यमंत्री पद को शोभित करने वाले महानुभावों पर नज़र डाली जाए तो एक रोचक तथ्य उभर कर सामने आएगा। दृष्टिपात करते हैं सरसरी तौर पर।निष्कर्ष बाद में निकालेंगे। ' पहले मुख्य मंत्री रहे पंडित भगवददयाल शर्मा (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ),अल्पावधि ही (१४२ दिन )   इस पद पर बने रह सके ,बाद इसके राष्ट्रपति शासन (१८३ दिन )रहा। फिर   आये बंशीलाल जी पहले चरण की अवधि पूरी करने के बाद एक बार फिर दूसरे चरण में १९३ दिन निकाल ले गए।चौथे नंबर पर  इनके बाद आये श्री बनारसी दास गुप्ता एक साल एक सौ पचास दिन ही निकाल पाए , प्रदेश में एक फिर राष्ट्रपति शासन लग गया।५२ दिन रहा।  पांचवे नंबर पर आये चौधरी देवीलाल दो साल सात दिन निकाल पाए। छटे नंबर पर इनके बाद आये श्री भजन लाल छ: साल ३४१ दिन पूरे कर गए।  बंशीलाल जी ने फिर वापसी की इस मर्तबा आप एक साल पंद्रह दिन ही टिक पाये। चौधरी देवी लाल ने भी एक बार फिर वापसी  और दो साल १६५ दिन निकाल ले गए।  बाद इनके आये इनके ही पुत्र श्री ॐ प्रकाश चौटाला साहब प्रदेश के सातवें मुख्यमंत्री के तौर  आपने १७१ दिन ही निकाले।  ब

आठ (सर्व) शक्तियों को प्राप्ति - उषा बहन - ब्रह्माकुमारीज - राजयोग मेडिटेशन

राजयोग से प्राप्त अष्ट शक्तियां  -ब्रह्माकुमारी उषा बहन  (१ )सहनशक्ति  (२ )समाने की शक्ति  (३ )परखने की शक्ति  (४ )निर्णय लेने की शक्ति - आपदा को अवसर में बदलना ,चुनौती के वक्त सही निर्णय लेने की क्षमता  (५ )सामना करने की शक्ति  -व्यक्ति को सहन करो उसका सामना मत करो ,सामना करो हालात का विषम  परिस्तिथि  का। रिश्तों में माधुर्य बना रहे सहन करने से हम छोटे नहीं हो जाएंगे ,रिश्ते हमारे सम्भल जाएंगे।  (६ )सहयोग की शक्ति  -अकेला चना क्या भाड़ झौंकेगा। सहयोग लेना और देना मानवीय गुण हैं। न लेना ना देना आसुरी लक्षण है।  (७ )विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति  -कछुवे की तरह। जब कर्म करना  तो इन्द्रियों को विस्तार में लाएं।कर्म संपन्न हो जाए तो इन्द्रियों को समेत लें।   (८ )समेटने की शक्ति  -जीवन एक मुसाफिर खाना है। कर्म का बिस्तर बाँध लें कोई और हाथ लगाने वाला नहीं है। जीवन में सद्गुणों का अपने कर्म का अहंकार न लाएं ,पुण्य करके अहंकारी न बने । समेटने की शक्ति को याद रखना हैं। फ़िज़ूल की बातों में अटकना नहीं  है. उलझो नहीं सुलझो ! सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=3b4xl3i7FeQ Day 4 -