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जवाहरलाल नेहरू की ‘सनक’ की 5 अनसुनी कहानियां

26/09/2018 सत्ता से बेदखल होने के बाद  कांग्रेस पार्टी आजकल खुद को अभिव्यक्ति की आजादी की सबसे बड़ी पहरेदार बता रही है, जबकि उसका इतिहास कुछ और ही कहता है। सच्चाई यह है कि आजादी के बाद नेहरू के समय से लेकर सोनिया गांधी तक गांधी परिवार की तुनकमिजाजियों और तानाशाहियों के मामले भरे पड़े हैं, लेकिन इन्हें बड़ी सफाई से छिपा लिया जाता है। वास्तविकता के एकदम उलट स्कूली किताबों में नेहरू और उनके परिवार के सदस्यों की महानता का गुणगान भरा पड़ा है।  न्यूज़लूज़  पर हमने अंग्रेजों से आजादी के फौरन बाद जवाहरलाल नेहरू की करतूतों की लिस्ट तैयार की है, जिनके बारे में जानकर आप समझ जाएंगे कि नेहरू दरअसल देश के अब तक के सबसे तानाशाह और तुनकमिजाज नेता थे।  यह भी पढ़ें: जब नेहरू के कारण फुटबॉल वर्ल्ड कप में नहीं जा सका था भारत 1. संविधान का पहला संशोधन देश में लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहला हमला आजादी के फौरन बाद हुआ था। नया संविधान लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद ही नेहरू को लगने लगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक-टोक होनी चाहिए। 8 जून 1951 को उन्होंने संसद में पहला संविधान संशोध

महाभारत का शिशुपाल और राहुल

महाभारत का शिशुपाल और राहुल  राहुल का लगता है ,कोई सही अर्थों में हितेषी ही नहीं है। सब चाहते हैं इनका (भारतीय राजनीति के राहु) का सर फट जाए। पहले इनके हितेषियों ने इनसे कहलवाया -देश का चौकीदार चोर है अब कहलवा  रहें हैं :कमांडर इन थीफ।  कृष्ण ने शिशुपाल को सौ बार माफ़ कर दिया था। वह उनके भांजे थे।बहन को दिए वचन के अनुसार  सौ बार तक माफ़ करने के लिए वह प्रतिबद्ध थे। एक सौ -एक -वीं मर्तबा जब शिशुपाल ने राहुल की तरह फिर बद-खेली की ,बदजुबानी की  कृष्ण के साथ तब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उनका सर उड़ा दिया।  कृष्ण की खामोशी को राहुल तौल नहीं पा रहे हैं। गोयलबल्स भी स्वयं अपने से हार गया था। कमसे कम उनकी माँ को चाहिए वह अपने बेटे को शिशुपाल होने से रोकें ताकि वह कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ -साथ देश के प्रधानमन्त्री भी बन सकें हम भी यही चाहतें हैं।  इस देश का इतिहास  साक्षी है जीत हमेशा से सत्य की ही हुई  है। शिशुपाल हर बार मारा गया है। भगवान इनके  कूकरों को भी  सबुद्धि दे जो नेहरुपंथी अवशेषी  कांग्रेस के चारण भाट और चिरकुट कहलाते हैं।   आखिर प्रधानमन्त्री का पद एक संविधानिक पद है जिन्होनें

'राफेल मुद्दे पार राहुल की बदज़ुबानी '

यह आकस्मिक नहीं है कि नेहरुपंथी कांग्रेस के अवशेषी युवराज को केजरीवाल -२ कहा जाने लगा है। आखिर दोनों में अद्भुत साम्य जो है। दोनों को ही दुर्योधन की तरह भारत में अपने अलावा कोई सद्पुरुष दिखलाई नहीं देता। दोनों ही स्वामी  असत्यानन्द के रूप में जाने जाते हैं। औरों को 'तू' खुद को 'आप 'कहकर दोनों ही गौरवान्वित होते रहें हैं। राहुल जमानत पर हैं उनका अब कोई और क्या बिगाड़ लेगा इसीलिए वे -बे -लगाम होकर  अप भाषा का अपमार्जन कर रहें हैं।  *राफेल* *_बात शुरू होती है वाजपेयी सरकार से तब अटलजी के विशेष अनुरोध पर भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रम्होस मिसाइल तैयार की थी जिसकी काट आजतक दुनिया का कोई देश तैयार नही कर सका है। विश्व के पास अबतक ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नही जो ब्रम्होस को अपने निशाने पर पहुंचने से पहले रडार पर ले सके। अपने आप मे अद्भुत क्षमताओं को लिये ब्रम्होस ऐसी परमाणु मिसाइल है जो 8000 किलोमीटर के लक्ष्य को मात्र 140 सेकेंड में भेद सकती है। और चीन के लिये यह लक्ष्य भेदन क्षमता ही सिरदर्द बनी हुई है। न चीन आजतक ब्रम्होस की काट बना सका है न ऐसा रडार सिस्टम जो ब्रम्होस को

Why Shri Dasham Gurugranth Sahab ?What was its intent ?दशम ग्रन्थ क्यों ?

दशम ग्रन्थ क्यों ? दशमग्रंथ प्रतिरक्षा विभाग का स्वरूप था तत्कालीन भारत का। खालसा उसकी फौज थी। यहां रणनीति युद्धनीति शस्त्रनीति ,शास्त्रनीति  सब कुछ बखान की गई है। जोश की वाणी है श्री दशम गुरुग्रंथ साहब। यहां शस्त्र को भगवान् का दर्ज़ा प्राप्त है वही सबका प्रतिरक्षक है। प्रतिपालक है।  यहां "जाप साहब "पहली वाणी हैं  ,अकाल उसतति दूसरी जिसमें परमात्मा की  स्तुति है उसकी सिफत का गायन है उसके तमाम नामों का  बखान किया गया है पहली वाणी जाप साहब में ।  यह वैसे ही जैसे विष्णुसहस्त्र नाम और इस्लाम के अंतर्गत अल्लाह के ९९ नामों का बखान है।  वाह! गुरु के ,परमात्मा के इसी गुणगायन यशोगान से पैदा होती है 'भगौती' (देवी भगवती ,आद्या शक्ति चंडी अनेक शक्ति रूपा दुर्गा )परमात्मा की एक शक्ति का ही नाम यहां 'भगौती' है यहां वही  'पंज ककार 'धारण कर खालसा बन जाती है।  बाबा आदम से बना है 'आदमी' और सब आदमियों का आदमियत का यहां  एक ही धर्म है कोई वर्ण ,भेद रंग, भेद जाति,पंथ भेद नहीं है  ।  मनु से मनुज और 'मान 'से बना है मानव मनुष्य। यहां किसी का अलग से कोई अ

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- 'अयोध्या में जल्द बनना चाहिए राममंदिर'

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- 'अयोध्या में जल्द बनना चाहिए राममंदिर' आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- 'अयोध्या में जल्द बनना चाहिए राममंदिर' आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में राम मन्दिर का शीघ्र निर्माण होना चाहिए। Edited by: IndiaTV Hindi Desk   [ Updated: 20 Sep 2018, 12:06 AM IST] Image Source : RSS Mohan bhagwat नयी दिल्ली:  आरएसएस प्रमुख  मोहन भागवत  ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में राम मन्दिर का शीघ्र निर्माण होना चाहिए। संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘‘राम मन्दिर का निर्माण यथाशीघ्र होना चाहिए।’’ भागवत ने देश में आबादी संतुलन कायम रखने के लिए एक नीति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इसके दायरे में समाज के सभी वर्ग होने चाहिए। उन्होंने कहा कि शुरूआत उन लोगों से की जानी चाहिए जिनके अधिक बच्चे हैं किन्तु उनके पालन-पोषण के लिए सीमित साधन हैं।  RELATED  STORIES संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा-मुसलमानों के बिना हिंदू राष्ट्र नहीं

दोस्तों ये सावधान रहने का वक्त है, जो राहुल गांधी भोले की आँखों में धूल झौंक सकता उसके लिए भारत और भारत धर्मी समाज क्या चीज़ है

*राफेल* *_बात शुरू होती है वाजपेयी सरकार से तब अटलजी के विशेष अनुरोध पर भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रम्होस मिसाइल तैयार की थी जिसकी काट आजतक दुनिया का कोई देश तैयार नही कर सका है। विश्व के पास अबतक ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नही जो ब्रम्होस को अपने निशाने पर पहुंचने से पहले रडार पर ले सके। अपने आप मे अद्भुत क्षमताओं को लिये ब्रम्होस ऐसी परमाणु मिसाइल है जो 8000 किलोमीटर के लक्ष्य को मात्र 140 सेकेंड में भेद सकती है। और चीन के लिये यह लक्ष्य भेदन क्षमता ही सिरदर्द बनी हुई है। न चीन आजतक ब्रम्होस की काट बना सका है न ऐसा रडार सिस्टम जो ब्रम्होस को पकड़ सके।_* _अटलजी की सरकार गिरने के बाद सोनिया के कहने पर कांग्रेस सरकार ने ब्रम्होस को तहखाने में रखवाकर आगे का प्रोजेक्ट बन्द करवा दिया जिसमें ब्रम्होस को लेकर उड़ने वाले फाइटर जेट विमान खरीदने फिर देश में तैयार करने की योजना थी जो अधूरा रह गया। दस वर्षों बाद जब मोदी सरकार आई तब तहखाने में धूल गर्द में पड़ी ब्रम्होस को संभाला गया वह भी तब! जब मोदी खुद भारतीय सेना से सीधा मिले तो सेना ने व्यथा बताई कि हमारे पास हथियारों की बेहद कमी है कोई खरीद हो नही