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अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं ...

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं। (ग़ज़ल निदा फ़ाज़ली साहब ) अंतरा -१ पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है, पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है, अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं ... अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम . हैं .. रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। अंतरा -२ वक्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से. वक्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से. किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं .. किसको मालूम कहा के है किधर के हम हैं ... रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। अंतरा (३ ) चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब। चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब। सोचते रहते हैं किस रहगुज़र के हम है. सोचते रहते हैं किस रहगुज़र के हम है. रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं ... अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। सन्दर्भ -सामिग्री

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि।। फलासक्ति को त्यागकर यहां कृष्ण अर्जुन को कर्म करने को प्रेरणा ,कर्म त्याग का निषेध: समझाते हैं :(ENGLISH ALSO )

You have a right to perform your prescribed duties , but you are not entitled to the fruits of your actions .Never consider yourself to be the cause of results of your activities , nor be attached to inaction कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।  मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि।।  फलासक्ति को त्यागकर यहां कृष्ण अर्जुन को  कर्म करने को प्रेरणा ,कर्म त्याग का निषेध: समझाते हैं : This is an extremely popular verse of the Bhagvad Gita , so much so that even most schools children in India are familiar with it .It offers deep insight into the proper spirit of work and is often quoted whenever the topic of karma  yoga  is discussed .The verse gives four instructions regarding the science of work : (1)Do your duty , but do not concern yourself with the results . (2)The fruits of your actions are not for your enjoyment. (3 )Even while working , give up the pride of doer ship . (4 )Do not be attached to inaction . Do your duty ,but do not concern yourself with the resu