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चोरी की कला में माहिर एक राजवंश

चोरी की कला में माहिर एक राजवंश 

भारत में वर्ण संकरों का एक ऐसा हाइब्रिड कुनबा है जिसने एक प्रसिद्ध ही नहीं सिद्ध पुरुष का नाम चुरा लिया है और बरसों से इसे बरत रहा है। जबकि इस कुनबे के न कुल का अता -पता है न गोत्र का न इतिहास का। इस कुनबे का बचा खुचा हिस्सा न इस देश की भाषा और संस्कृति से वाकिफ है न परम्परा से। अलबत्ता चोरी में निष्णात इस कुनबे ने एक नै विधा चोर्य की विकसित की है चोरी करके भागो और खुद ही शोर मचाओ -पकड़ो पकड़ो चोर चोर ...चोर चोर। 

इस अवशेषी कुनबे के ले देकर चार आदमी बचे हैं जो दिल्ली में तीन सरकारी आवास घेरे हुए हैं। १० ,जनपथ ,१२ ,तुगलक रोड ,और ३५ लोदी एस्टेट। 

इनकी कद काठी से हज़ार गुना ज्यादा जमीन प्रत्येक आवास घेरे हुए है। यह कुनबा रोहंग्या मुसलमानों के हक़ में शोर मचा रहा है। जबानी जमा खर्च है यह।इनके साथ भी छल करता रहा है यह छली कुनबा।  

हमारा मानना है अगर यह कुनबा रोहंग्या से असली सहानुभूति रखता है तो अपने आवासों में उन्हें पनाह दे। सैंकड़ों रोहंग्या इन तीन आवासों में आराम से रहेंगे। बस ये सरकार को ये लिखित आश्वासन दे दें -इनके आचरण  उठ बैठ की जिम्मेवारी  हम लेते हैं। यदि ये कुछ राष्ट्र विरोधी काम करें तो उसकी सजा हमें दी जाए। 

ये कुनबा आध्यात्मिक धार्मिक चोरी करने में भी महारत हासिल कर रहा है। न हिन्दू धर्म (सनातन धर्म )में आस्था न किसी धर्मग्रन्थ से कोई उद्धरण न श्लोक ये कुनबा बांच सकता है लेकिन भारत के मंदिर मंदिर में जा रहा है। ये चोरी नहीं है तो क्या है। नाम के भगत काम से चोर।
नेशनल हेराल्ड  समूह का कितना पैसा चट  कर गए और आज ज़मानत पर छुट्टे घूम रहें हैं चोर -चोर का शोर खुद ही मचाते हुए।  

'वडेरे' इस कुनबे से सम्बन्ध जोड़कर वडेरा नहीं वाड्रा हो जाते हैं ,जो न अपने माँ बाप के सगे हुए  न माँ जाए भाई के। सरकारी जमीन की चोरी किए बैठे हैं।शुरूआती  पचास लाख से बढ़ के इनकी संपत्ति २०१२ में ही ११ ,००० करोड़ का आंकड़ा छू रही थी। 

ये लोग एक देश के लिए समर्पित जीवन जीने वाले राष्ट्र पुरुष के लिए गली मोहल्लों में कहते डोल रहें हैं इस देश का नेता चोर है। अपने कुछ गुर्गों से उस साधू पुरुष की पत्नी के बारे में भी अपने मन की कालिख अपने अल्फ़ाज़ एक स्टिकर उसके चित्र पर चिपकवा  कर उगल रहे हैं। (मेरा पति चोर है ).. 

पता लगाया जाए ये किसके इशारे पर किया जा रहा है। क्या उसके जो भ्रम -चारि बना हुई घूम रहा है चोर -चोर का शोर मचाता हुआ जिसने विदेश में कई कई माशूकाएं पाल रखीं हैं। कौन है दोस्त इस चोरी की कला में निष्णात राजयुवा चिरकुमार ,भ्रम -चारी । फैसला आप खुद कीजिये। 

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