सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बोइस एंड गर्ल्स लोक -रूम्स के इस दौर में हमारे नौनिहाल ही नहीं बड़े खुद को कहलवाने वाले महानुभाव बूझ लें :इंटरनेट एक यूज़र फ्रेंडली डिवाइस है। एक बार कुछ अच्छा मांगोगे तो दस अच्छी चीज़ें खुद -ब -खुद आपके दृश्य पट पर आ जाएंगी। एक लोक रूम की चाहत रखोगे दस दौड़ें आयेंगे

बोइस एंड गर्ल्स लोक -रूम्स   के इस दौर में हमारे नौनिहाल ही नहीं बड़े खुद को कहलवाने वाले महानुभाव बूझ लें :इंटरनेट एक यूज़र फ्रेंडली डिवाइस है। एक बार कुछ अच्छा मांगोगे तो दस अच्छी चीज़ें खुद -ब -खुद आपके दृश्य पट पर आ जाएंगी। एक  लोक रूम की चाहत रखोगे दस दौड़ें आयेंगे।जो भी बाद में इस डिवाइस का इस्तेमाल करेगा आपके बाद आपके घर या बाहर (सबके पास अपना लैपटॉप हो स्मार्ट फोन हो यह ज़रूरी नहीं है। वर्क फ्रॉम होम के इस दौर में पापा मम्मी का स्मार्ट ही आप इस्तेमाल करेंगे। पकड़े जाएंगे आप  लोक रूम में घुसते निकलते।

भले ये फोटो शॉप का हैकिंग का मॉर्फिंग ,स्टाकिंग का दौर है पर साइबर -रोधी -साइंस  भी एक अपराध विज्ञान की तरह पनपता विज्ञान  है जो हर सायबर अपराध की निगहबानी करता रहता है।

जो भी करो अपना हित  -अनहित पारिवारिक छवि का ध्यान रखते हुए ही करो बाद में अपने किये पर हाथ मलने का क्या फायदा है।

बे -शक किशोर वय कई दुस्साहसिक कार्यों की ओर  सहज ले जा सकती है। आज के इस अति -सूचना प्रवाह इन्फॉर्मेशन ओवरलोड के दौर में सब कुछ अच्छा बुरा नेट पर उपलब्ध है। चयन आपका है आपकी वैयक्तिक छवि का है आप क्या दिखना करना चाहते हैं फैसला आपको ही करना है हमारा काम आगाह करना है।
सम्पादकीय 'कालिख में डूबते बच्चे 'सही कहता है 'यह अंधा कुआं देश की ताज़ादम पीढ़ी को निगल जाए ,उसके पहले हमें घर के लड़कों को बचाने की कोशिशें तेज़ कर देनी चाहिए। सचमुच लोकडाउन के इस दौर में जबकि नेट एक सोशल ब्लेक हॉल बनता दिख रहा है। बच्चे हमारा उत्पाद मात्रा रह गए हैं ,बाइप्रोडक्ट हैं, अनुकरण करतें हैं बड़ों का। मैं कई ऐसे घरों में गया जहां नेटफ्लिक्स ,हॉट स्टार अमेज़न प्राइम -वीडियो आन डिमांड पर ऐसे सीरियल धड़ल्ले से देखे जा रहें हैं जिनमें जनपदों में प्रचलित गाली को सामादृत किया जा रहा है। और यह सब बच्चों के साथ  सांझा भी किया जा रहा है।यहां हैकिंग भी है बलात्कार भी।  बहरहाल यह इस परिवेशीय दोष का एक पहलू भर है। हमारे चित्त का निर्माण करने वाले  अनेक  कारक हैं। नेट हमारी खुराक का हिस्सा बन रहा है विविध रूपों में। स्मार्ट फोन उसका एक आयाम भर है जो आन लाइन टीचिंग के इस दौर में हर बच्चे के हाथों में आ गया है। चयन हमारा अपना है दोष नेट में नहीं है हमारे चयन पसंदगी और वरीयता में है। किशोर मन एडवेंचरस होता है थ्रिल कुछ नया करने की वेगवती होती है किशोरवृन्द में । इसे दिशा देने की ज़रूरत  है। नेट से जुड़े आपस में कटे -शोसल डिस्टेंसिंग का ये मतलब तो कतई नहीं है।थोड़ा नज़दीक आएं एक दूसरे तवज्जो भी दें।  
वीरेंद्र शर्मा ,२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार कॉप्लेक्स दिल्ली छावनी ११० ०११०   
संदर्भ -सामिग्री :https://www.bbc.com/news/world-asia-india-52541298

कृपया इसी विषय पर नवभारत टाइम्स ने विचार के तहत बेहतरीन सम्पादकीय लिखा है उसे भी आप ज़रूर पढ़ें :नवभारत टाइम्स सात मई २०२० ,इस पर एक उल्लेखित प्रतिक्रिया मेरी भी है जो आप ऊपर पढ़ आये हैं।  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शख्सियत :रश्मि ताई

शख्सियत :रश्मि ताई जो कभी सहपाठी थे अब हमसफ़र हैं 'हमराही' हैं। जी हाँ आप ठीक समझे हैं। हम बात कर रहें हैं 'वाहिनी साहब' रश्मि ताई ,अब रश्मि ठाकरे की। हर कामयाब मर्द के पीछे एक औरत होती है यह विश्वास तब और भी घना -गाढ़ा हो जाता है जब  सौम्यता  और शालीनता की नायाब मिसाल रश्मि ताई से मुखातिब होते हैं। एक आम मध्य वर्गीय परिवार से आईं हैं आप। आपके व्यक्तित्व पे मातुश्री (रश्मि ताई की  माता श्री मती मीणा ताई  )की गहरी छाप है। आप रंगभूमि में ही रहती हैं मेकअप मैन  की तरह. आपने उद्धव जी को सजाया संवारा है। पहले जे. जे. स्कूल आफ आर्ट्स में सहपाठी और अब जीवन संगनी बनकर उनकी अनाम राजनीतिक गुरु और सलाकार रहीं हैं आप। आगे भी ये सफर यूं ही नए क्षितिज नापेगा। आप ने ही हिन्दू हृदय सम्राट बाला केशव  प्रबोधनकर ठाकरे से उनका राजनीतिक वारिस उद्धव जी को बनाये जाने का वचन उनके जीते जी ले लिया था। आप एक अन्नपूर्णा साबित हुई हैं मातोश्री के लिए जो बाला साहब के बीमार होने पर उनकी कुशल पूछने आते सभी आम अउ ख़ास सैनिकों को  अल्पाहार क्या चाव से भरपेट भोजन आग्रह पूर्वक करवातीं थीं। आप लेंस के पी

महाभारत में कहा गया है : यन्न भारते !तन्न भारते !अर्थात जो महाभारत में नहीं है वह अन्यत्र भी नहीं है।ज़ाहिर है अभी जेनेटिक्स भी उन ऊंचाइयों को स्पर्श नहीं कर सकी हैं जो यहां वर्णित हैं

महाभारत में कहा गया है : यन्न भारते !तन्न भारते !अर्थात जो महाभारत में नहीं है वह अन्यत्र भी नहीं है।ज़ाहिर है अभी जेनेटिक्स भी उन ऊंचाइयों को स्पर्श नहीं कर सकी हैं जो यहां वर्णित हैं।    पुराणों में जो कहा गया है वह शुद्ध भौतिक विज्ञानों का निचोड़ भी हो सकता है ,सारतत्व भी। ज़रूरी नहीं है वह महज़ मिथ हो और चंद लेफ्टिए मिलकर उसका मज़ाक बनाते  उपहास करते फिरें । मसलन अगस्त्य मुनि को 'घटसम्भव' कहा गया है। 'कुंभज' और 'घटयौनि' भी 'कलशज :' भी ; एक ही अभिप्राय है इन  पारिभाषिक नामों का जिसका जन्म घड़े से कलश से हुआ है वही अगस्त्य है सप्तऋषि मंडल का शान से चमकने वाला कैनोपास (Canopus )ही अगस्त्य है जो लुब्धक (sirius)के बाद दूसरा सबसे चमकीला ब्राइट स्टार है।  गांधारी के बारे में कहा जाता है जब उसे पता चला कुंती एक बच्चे को उससे पहले जन्म देने वाली है (युधिष्ठिर महाराज ज्येष्ठ पांडव उस समय कुंती के गर्भ में ही थे )उसने ईर्ष्या वश अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण के मुष्टि प्रहार से सौ टुकड़े कर दिए यही सौ कौरव बनकर आये। एक ही फर्टिलाइज़्द ह्यूमेन एग के मुष्टि प्रहार से

"भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। भीड़ अनाम होती है ,उन्मादी होती है।"

"भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। भीड़ अनाम होती है ,उन्मादी होती है।" तीसहजारी कोर्ट की घटना को मानव निर्मित कहा जाए ,स्वयंचालित ,स्वत : स्फूर्त या हालात की उपज ?बहस हो सकती है इस मुद्दे पर। मान लीजिये नवंबर २ ,२०१९ तीसहजारी घटना-क्रम लापरवाही का परिणाम था ,जिस की सज़ा तुरत -फुरत माननीय उच्चन्यायालय,दिल्ली ने सुना दी। पूछा जा सकता है : नवंबर ४,२०१९  को जो कुछ साकेत की अदालत और कड़कड़ -डूमाअदालत में  घटा वह भी लापरवाही का परिणाम था। क्या इसका संज्ञान भी तुरता तौर पर दिल्ली की उस अदालत ने लिया। तर्क दिया गया गोली चलाने से पहले पूलिस ने अश्रु गैस के गोले क्यों नहीं दागे ,लाठी चार्ज से पहले वार्निंग क्यों नहीं दी। उत्तर इसका यह भी हो सकता है :क्या जो कुछ घटा नवंबर २ को उसकी किसी को आशंका थी? यह एक दिन भी कचहरी के और दिनों जैसा ही था। जो कुछ घटा तात्कालिक था ,स्पोटेनिअस था ,चंद-क्षणों की गहमा गहमी और बस सब कुछ अ-प्रत्याशित ? तर्क दिया गया ,पुलिस धरने पर बैठने के बजाय देश की सबसे बड़ी अदालत में क्यों नहीं गई। हाईकोर्ट के तुरता फैसले के खिलाफ ? चार नवंबर को अपना आपा खोने वाले  भाडू (भा